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उत्तर प्रदेश कक्षा 8 विज्ञान

कोर्स: उत्तर प्रदेश कक्षा 8 विज्ञान   >   यूनिट 16, ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्रोत (renewable and non-renewable sources of energy).

  • सौर ऊर्जा का उपयोग करना; दैनिक जीवन में ऊर्जा संरक्षण (Using solar energy ; Energy conservation in daily life)

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi!

आधुनिक युग विज्ञान का युग है । मनुष्य विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर है उसने समय के साथ स्वयं के लिए सुख के सभी साधन एकत्र कर लिए हैं । इतना होने के बाद और अधिक पा लेने की अभिलाषा में कोई कमी नहीं आई है बल्कि पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है ।

समय के साथ उसकी असंतोष की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कल-कारखाने, मोटर-गाड़ियाँ, रेलगाड़ी, हवाई जहाज आदि सभी उसकी इसी प्रवृत्ति की देन हैं । उसके इस विस्तार से संसाधनों के समाप्त होने का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है ।

प्रकृति में संसाधन सीमित हैं । दूसरे शब्दों में, प्रकृति में उपलब्ध ऊर्जा भी सीमित है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ आवश्यकताएँ भी बढ़ती ही जा रही हैं । दिन-प्रतिदिन सड़कों पर मोटर-गाड़ियों की संख्या में अतुलनीय बुदधि हो रही है । रेलगाड़ी हो या हवाई जहाज सभी की संख्या में वृद्‌धि हो रही है । मनुष्य की मशीनों पर निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है ।

इन सभी मशीनों के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । परंतु जिस गति से ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है उसे देखते हुए ऊर्जा के समस्त संसाधनों के नष्ट होने की आशंका बढ़ने लगी है । विशेषकर ऊर्जा के उन सभी साधनों की जिन्हें पुन: निर्मित नहीं किया जा सकता है । उदाहरण के लिए पेट्रोल, डीजल, कोयला तथा भोजन पकाने की गैस आदि ।

पेट्रोल अथवा डीजल जैसे संसाधनों रहित विश्व की परिकल्पना भी दुष्कर प्रतीत होती है । परंतु वास्तविकता यही है कि जिस तेजी से हम इन संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब धरती से ऊर्जा के हमारे ये संसाधन विलुप्त हो जाएँगे ।

ADVERTISEMENTS:

अत: यह आवश्यक है कि हम ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दें अथवा इसके प्रतिस्थापन हेतु अन्य संसाधनों को विकसित करें क्योंकि यदि समय रहते हम अपने प्रयासों में सफल नहीं होते तो संपूर्ण मानव सभ्यता ही खतरे में पड़ सकती है।

हमारे देश में भी ऊर्जा की आवश्यकता दिन पर दिन विकास व जनसंख्या वृद्‌धि के साथ बढ़ती चली जा रही है । ऊर्जा की बढ़ती माँग आने वाले वर्षो में आज से तीन या चार गुणा अधिक होगी । इन परिस्थितियों में भारत सरकार की ओर से ठोस कदम उठाने की अवश्यकता है । इस दिशा में अनेक रूपों में कई प्रयास किए गए हैं जिनस कुछ हद तक सफलता भी अर्जित हुई है । ‘बायो-गैस’ तथा अधिक वृक्ष उत्पादन आदि इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं । पृथ्वी पर ऐसे ऊर्जा संसाधनों की कमी नहीं है जो प्रदूषण रहित हैं ।

विश्व भर में ऊर्जा संरक्षण व ऊर्जा के नवीन श्रोतों को विकसित करने के महत्व को समझा जा रहा है । सभी देश सौर-ऊर्जा को अधिक महत्व दे रहे हैं तथा इसे और अधिक उपयोगी बनाने व इसके विकास हेतु विश्व भर के वैज्ञानिकों द्‌वारा अनुसंधान जारी हैं । जहाँ तक भारत की स्थिति है, हमारे देश में पेट्रोलियम ऊर्जा का एक बड़ा भाग खाड़ी के तेल उत्पादक देशों में आयात किया जाता है ।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कभी-कभी कच्चा तेल इतना महँगा हो जाता है कि इसे खरीद पाना भारतीय तेल कंपनियों के वश में नहीं होता । तब सरकार या तो तेल मूल्यों में वृद्‌धि कर इस घाटे की भरपाई करती है अथवा तेल कंपनियों को सीमा-शुल्क आदि में छूट देकर स्वयं घाटा उठाती है । दोनों ही स्थितियों में बोझ देश के उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है ।

हमें आशा है कि वैज्ञानिक ऊर्जा के नए संसाधनों की खोज व इसके विकास में समय रहते सक्षम होंगे । इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि सभी नागरिक ऊर्जा के महत्व को समझें और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक बनें । यह निरंतर प्रयास करें कि ऊर्जा चाहे जिस रूप में हो उसे व्यर्थ न जाने दें ।

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लुहरी स्टेज-I हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट: महत्व और मुख्य तथ्य

210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना के प्रथम चरण के लिए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. आइये इस परियोजना के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं..

Shikha Goyal

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति(CCEA) ने सतलुज नदी पर 210 मेगा वाट लुहरी स्टेज-I हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए 1810.56 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

यह हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू जिलों में सतलुज नदी पर स्थित है.

ऐसा बताया जा रहा है कि हर साल इस परियोजना से 758.20 मिलियन विद्युत यूनिट का उत्पादन होगा.

भारत सरकार लद्दाख और कश्मीर में 10 सुरंगों के निर्माण की योजना क्यों बना रही है?

लुहरी स्टेज-I हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट: मुख्य तथ्य

इसे सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL) द्वारा भारत सरकार और राज्य सरकार के सक्रिय समर्थन के साथ ‘बनाओ-स्वामित्व-संचालन-रखरखाव (Build-Own-Operate-Maintain, BOOM) के आधार पर कार्यान्वित किया जा रहा है.

इस परियोजना में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 66.19 करोड़ रुपये का अनुदान भारत सरकार उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान कर रही है और इससे बिजली की दरों में कमी लाने में भी मदद होगी.

वर्ष 2023 तक सतलुज जल विद्युत निगम ने सभी स्रोतों से अपने कुल स्थापित क्षमता का 5000 मेगावाट उत्पादन का आंतरिक वृद्धि का लक्ष्य रखा है. इसमें 12000 मेगावाट वर्ष 2030 तक और 25000 मेगावाट वर्ष 2040 तक विद्युत उत्पादन की परिकल्पना की गई है.

परियोजना की पृष्ठभूमि हिमाचल प्रदेश की सरकार के साथ राइजिंग हिमाचल, ग्लोबल इन्वेस्टर मीट (Rising Himachal, Global Investor Meet) के दौरान, इस परियोजना के MoU पर हस्ताक्षर किए गए थे,  जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 नवंबर, 2019 को किया था.

इस परियोजना का क्या महत्व है?

- इस परियोजना से प्रतिवर्ष 758.20 मिलियन विद्युत यूनिट का उत्पादन होगा.

- 62 महीनों के समय में लुहरी जल विद्युत परियोजना का प्रथम चरण शुरू हो जाएगा. इससे जो बिजली उत्पन्न होगी उससे ग्रिड स्थायित्व में मदद मिलेगी तथा बिजली की आपूर्ति में भी सुधार होगा.

- इस परियोजना से वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा क्योंकि ये न केवल ग्रिड को महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराएगा बल्कि वातावरण में प्रतिवर्ष उत्सर्जित होने वाली लगभग 6.1 लाख टन कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा में भी कमी लाएगा.

- इस परियोजना की निर्माणात्मक गतिविधियों के कारण लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. इस कारण से राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी.

- परियोजना की समय अवधि 40 वर्ष है जिस कारण से 1140 करोड़ रुपये मूल्य की निःशुल्क बिजली हिमाचल प्रदेश को मिलेगी.

- जो परिवार इस परियोजना से प्रभावित होंगे उनको अगले 10 वर्ष तक हर महीने 100 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी.

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Renewable Sources Of Energy Essay In Hindi

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Renewable Sources Of Energy Essay In Hindi

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – essay on renewable sources of energy in hindi.

  • प्रस्तावना,
  • (क) सौर ऊर्जा,
  • (ख) पवन ऊर्जा,
  • (ग) जल ऊर्जा,
  • (घ) भू–तापीय ऊर्जा,
  • (ङ) बायोमास एवं जैव ईंधन,
  • (च) परमाणु ऊर्जा,
  • अक्षय ऊर्जा और हमारा राष्ट्र,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – Akshay Oorja : Sambhaavanaen Aur Neetiyaan Nibandh

प्रस्तावना– पेट्रोल, डीजल, कोयला, गैस आदि की दिनोदिन घटती मात्रा ने हमें यह सोचने पर विवश कर दिया है कि हमें अपनी कल की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए ऐसे संसाधनों को खोजना होगा, जो कभी समाप्त न हों और हमारा जीवन सुचारु रूप से बिना किसी ऊर्जा संकट के चलता रहे। ऊर्जा के कभी न समाप्त होनेवाले संसाधनों को ही हम अक्षय ऊर्जा के स्रोत के रूप में जानते हैं।

अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत– मानव एक विकासशील प्राणी है। उसने ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की खोज की, जो आधुनिक जीवन शैली का अभिन्न अंग बन गए हैं। सबसे पहले मानव ने ऊर्जा के परम्परागत साधनों–कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि का प्रयोग किया, जो सीमित मात्रा में होने के साथ–साथ पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हैं।

अक्षय ऊर्जा के स्रोत न केवल ऊर्जा के संकट मिटाने में सक्षम हैं, पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। भारत में अक्षय ऊर्जा के अनेक स्रोत उपलब्ध हैं; जैसे–सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू–तापीय ऊर्जा, बायोमास एवं जैव ईंधन आदि। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

(क) सौर ऊर्जा–भारत में सौर ऊर्जा की काफी सम्भावनाएँ हैं; क्योंकि देश के अधिकतर भागों में वर्ष में 250–300 दिन सूर्य अपनी किरणें बिखेरता है। सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए फोटोवोल्टेइक सेल प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। फोटोवोल्टेइक सेल सूर्य से प्राप्त होनेवाली किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। हमारे देश में सौर ऊर्जा के रूप में प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार खरब यूनिट बिजली बनाने की सम्भावना मौजूद है, जिसके लिए पर्याप्त तीव्रगति से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। भारत में विगत 25–30 वर्षों से सौर ऊर्जा पर कार्य हो रहा है।

वर्ष 2010 ई० में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरूआत की थी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा के माध्यम से देश को ऊर्जा के संकट से मुक्ति दिलाना है। आज देश के टेलीकॉम टॉवर प्रतिवर्ष 5 हजार करोड़ लीटर डीजल का प्रयोग कर रहे हैं, सौर ऊर्जा के प्रयोग द्वारा इस डीजल को बचाया जा सकता है।

सौर ऊर्जा अभी महँगी है, इसलिए इसकी उपयोगिता का ज्ञान होते हुए भी लोग इसका प्रयोग करने से बचते हैं। अब सोलर कूकर, सोलर बैटरी चालित वाहन और मोबाइल फोन भी प्रयोग में लाए जा रहे हैं। लोग धीरे–धीरे इसकी महत्ता समझ रहे हैं। कर्नाटक के लगभग एक हजार गाँवों में सौर ऊर्जा के प्रयोग का अभियान चल रहा है। आनेवाले समय में सौर ऊर्जा निश्चित ही भारत को प्रगति के मार्ग पर ले जाने में सहायक होगी।

(ख) पवन ऊर्जा–पवन या वायु ऊर्जा अक्षय ऊर्जा का दूसरा महत्त्वपूर्ण स्रोत है। प्राचीन काल में पवन ऊर्जा का प्रयोग नाव चलाने में किया जाता था। लगभग 2 हजार वर्ष पूर्व सिंचाई और अनाज कूटने आदि में पवन ऊर्जा के प्रयोग का प्रणाम मिलता है। चीन, अफगानिस्तान, पर्शिया, डेनमार्क, कैलिफोर्निया में पवन ऊर्जा का उपयोग बिजली बनाने में किया जा रहा है।

भारत में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान आदि प्रदेशों में पवन ऊर्जा के विद्युत् उत्पादन का कार्य चल रहा है। भारत में पवन ऊर्जा की काफी सम्भावनाएँ हैं। इस समय भारत में पवन ऊर्जा का नवीन और ऊर्जा मन्त्रालय के अनुसार भारत में वायु द्वारा 48,500 मेगावॉट विद्युत् उत्पादन की क्षमता है, अभी तक 12,800 मेगावॉट की क्षमता ही प्राप्त की जा सकी है।

पिछले दो दशकों में विद्युत् उत्पादक पवनचक्कियों (टरबाइनों) की रूपरेखा, स्थल का चयन, स्थापना, कार्यकलाप और रख–रखाव में तकनीकी रूप से भारी प्रगति हुई है और विद्युत् उत्पादन की लागत कम हुई है। पवन ऊर्जा द्वारा पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता; क्योंकि इसमें अपशिष्ट का उत्पादन नहीं के बराबर होता है विकिरण की समस्या भी नहीं होती है। आनेवाले समय में पवन ऊर्जा के सशक्त माध्यम बनने की पूरी सम्भावनाएँ हैं।

(ग) जल ऊर्जा–जल अक्षय ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में से एक है। इसमें नदियों पर बाँध बनाकर उनके जल से टरबाइनों द्वारा विद्युत् उत्पादन किया जाता है। भारत में बाँध बनाकर जल विद्युत् का उत्पादन दीर्घकाल से हो रहा है। इसके अलावा समुद्र में उत्पन्न होनेवाले ज्वार–भाटा की लहरों से भी विद्युत् उत्पादन किया जा सकता . है। भारत की सीमाएँ तीन–तीन ओर से समुद्रों से घिरी हैं; अतः अक्षय ऊर्जा स्त्रोत का प्रयोग बड़े पैमाने पर कर सकता है।

(घ) भू–तापीय ऊर्जा–यह पृथ्वी से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा है। भू–तापीय ऊर्जा का जन्म पृथ्वी की गहराई में गर्म, पिघली चट्टानों से होता है। इस स्रोत से ऐसे स्थानों पर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के गर्म क्षेत्र तक एक सुरंग खोदी जाती है, जिनके द्वारा पानी को वहाँ पहुँचाकर उसकी भाप बनाकर टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है।

भारत में लगभग 113 संकेत मिले हैं, जिनसे लगभग 10 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन होने की सम्भावना है। भू–तापीय ऊर्जा से विद्युत् उत्पादन लागत जल ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत् जितनी ही है। भारत को भू–तापीय ऊर्जा को प्रयोग में लाने के लिए बड़ी मात्रा में आवश्यक संसाधन जुटाने पड़ेंगे, तभी इस ऊर्जा का लाभ उठाया जा सकेगा।

(ङ) बायोमास एवं जैव ईंधन–कृषि एवं वानिकी अवशेषों (बायोमास / जैव पदार्थों) का प्रयोग भी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। भारत की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या जैव पदार्थों का प्रयोग खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप में करती है। लकड़ी, गोबर और खरपतवार प्रमुख जैव–पदार्थ हैं, जिनसे बायोगैस उत्पन्न की जाती है। गन्ने, महुए, आलू, चावल, जौ, मकई और चुकन्दर जैसे शर्करायुक्त पदार्थों से एथेनॉल बनाया जाता है।

इसे पेट्रोल में मिलाकर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत सरकार इसका 10 प्रतिशत तक पेट्रोल में मिश्रण करना चाहती है, जिसके लिए प्रतिवर्ष 266 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी, किन्तु एथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों ने अभी 140 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की पेशकश ही सरकार से की है।

इसके अतिरिक्त कृषि से निकलनेवाले व्यर्थ पदार्थों; जैसे खाली भुट्टे, फसलों के डंठल, भूसी आदि और शहरों एवं उद्योगों के ठोस कचरे से भी बिजली बनाई जा सकती है। भारतवर्ष में उनसे लगभग 23,700 मेगावॉट बिजली प्रतिवर्ष बन सकती है, परन्तु अभी इनसे 2,500 मेगावॉट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है।

(च) परमाणु ऊर्जा–भारत के डॉ. होमी भाभा को भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास का जनक माना जाता है। भारत में पाँच परमाणु ऊर्जा केन्द्रों पर 10 परमाणु रिएक्टर हैं, जो देश की कुल दो प्रतिशत बिजली का उत्पादन करते हैं। यद्यपि परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिए घातक नहीं है, लेकिन इससे सम्बन्धित कोई भी दुर्घटना अवश्य ही मानव–जीवन के लिए घातक सिद्ध होती है।

इसका सबसे अधिक खतरा उत्पादन के पश्चात् निकलनेवाला रेडियोधर्मी अपशिष्ट कचरा है, जिसे समाप्त करना दुष्कर होता जा रहा है; अत: यह अक्षय ऊर्जा का स्रोत होते हुए भी इसका प्रयोग दीर्घकाल तक नहीं किया जा सकता है। अक्षय ऊर्जा और हमारा राष्ट्र–अक्षय ऊर्जा वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए श्रेष्ठ साधन है; क्योंकि इससे हमारा पर्यावरण स्वच्छता के साथ बड़ी मात्रा में ऊर्जा भी प्राप्त होती है।

इसी कारण विभिन्न देशों में अपने–अपने अक्षय ऊर्जा स्रोत बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा दिखाई देने लगी है। वैश्विक रुझानों को देखते हुए भारत अक्षय की प्रतिस्पर्धा का सक्रिय भागीदार है। वह निरन्तर अक्षय ऊर्जा स्रोतों की अपनी श्रेणियाँ विस्तृत करने के प्रयास में जुटा है। भारत ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता 74 गीगावॉट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें 2020 तक सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 20 GW करने और बिजली की कुल खपत का 15 प्रतिशत हिस्सा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

वर्तमान में भारत की संस्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता लगभग 30 गीगावॉट है और भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है। भारत की अक्षय ऊर्जा विकास योजना में घरेलू ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करना भी शामिल है। इस योजना से जहाँ क्षेत्रीय विकास होगा, वहीं रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। पर्यावरण सुरक्षा भी इसके माध्यम से हो सकेगा और ग्लोबल वार्मिंग के अन्तर्गत अधिक कार्बन डाइ–ऑक्साइड उत्सर्जन के अन्तरराष्ट्रीय दबाव से भी हम मुक्त हो सकेंगे।

उपसंहार– अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा जो योजनाएँ चलाई जा रही हैं; उनसे यह आशा बँधती है कि हम निकट भविष्य में अपनी ऊर्जा–प्राप्ति और पर्यावरण–सुरक्षा की समस्या का समाधान खोजने में अवश्य ही सफल होंगे। हम इस क्षेत्र में अन्य विकासशील देशों को सहयोग करके न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकेंगे, वरन् विश्व–समुदाय के मध्य स्वयं को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी सफल होंगे।

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energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

energy conservation essay in hindi— ऊर्जा संरक्षण पर निबंध

Table of Contents

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध- What is conservation energy definition?

ऊर्जा संरक्षण आज समय की आवश्यकता है. ईंधन मानव को दिया गया प्रकृति का अनमोल उपहार है. ईंधन पर मानव सभ्यता की निर्भरता दिनों दिन बढ़ती जा रही है.

मनुष्य अपने उपयोग और आराम के लिए रोज नये आविष्कार कर रहा है जो मानव की ईंधन जरूरतों को बढ़ा रहा है.गर्मी से बचने के लिए जहां पहले पंखों का उपयोग होता था, वही अब एसी का उपयोग आम हो चला है.

इसी तरह सड़क पर वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. बिजली की उपलब्धता और उसकी मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है. ऐसे में हम ईंधन का उपयोग भी तेजी से कर रहे हैं.

Why is it so important to conserve energy?

हमें एक बात याद रखनी होगी कि जिस जैव ईंधन पर मानव संस्कृति फल-फूल रही है. वह सीमित है और उसके अंधाधुंध उपयोग से उसकी कमी होती जा रही है.कच्चे तेल के कुएं सूखते जा रहे हैं.

ऐसी स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का ईंधन समाप्त हो जाएगा और हमारे सभी संसाधन ठप्प हो जाएंगे. इस परेशानी से बचने का एक ही उपाय है कि हम जागरूक हो और ऊर्जा संरक्षण करें।

How to Conserve Energy कैसे कर सकते हैं ऊर्जा संरक्षण?

ऊर्जा संरक्षण आज की जरूरत है तभी कल सुनहरा होगा. कुछ सावधानियां बरतकर और अपने साधनों का विवेकशील प्रयोग करके हम आसानी से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं. इस काम को हम अपने घर, सड़क और अपने कार्यस्थल तीनों ही जगहों पर कर सकते हैं.

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घर पर कैसे करें ऊर्जा की बचत? types of energy conservation

घर पर हम सबसे ज्यादा ईंधन का उपयोग अपनी रसोई में खाना बनाने के दौरान एलपीजी गैस के उपयोग के दौरान करते हैं, यहां हम बिन्दुवार टिप्स से यह समझ सकते हैं कि खाना बनाते वक्त किस तरह ऊर्जा संरक्षण किया जा सकता है-

➤ खाना जल्दी बने और साथ ही साथ ईंधन भी बचे इसके लिए प्रेशर कुकर का उपयोग करें.

➤ स्टार लेवल युक्त अथवा आईएसआई मार्क वाले घरेलु एलपीजी चूल्हो का उपयोग करें.

➤ खाना पकाने की सभी जरूरी सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें ताकि चूल्हा जलाने के बाद उन्हें खोजने की प्रक्रिया में ईंधन न गंवाना पड़े.

➤ जल की उचित मात्रा का ही इस्तेमाल करें, जरूरत से अधिक पानी ईंधन का अपव्यय करता है.

➤ एक बार खाना उबलने लग जाए तो आंच धीमी कर दें.

➤ पकाने से पहले अनाज को पानी में भिगो दें, इससे खाना जल्दी पकेगा और ईंधन भी बचेगा.

➤ चौड़ी सतह वाले बर्तनों का उपयोग करें ताकि ऊर्जा का अधिकतम उपयोग हो सकें.

➤ खाना पकाने से पहले खुले बर्तन पर ढक्कन रख दें.

➤ गैस चुल्हे का छोटा बर्नर का ही ज्यादा इस्तेमाल करें इससे गैस कम खर्च होती है.

➤ उजली स्थिर लौ का अर्थ है कि खाना बनाने के लिए इतनी ही गैस पर्याप्त है.

➤ समय-समय पर चूल्हें के बर्नर को साफ करते रहे.

➤ फ्रिज से निकाली गई खाद्य सामग्री को पहले सामान्य तापमान में आ जाने दें, इसके बाद इसे पकाने में उपयोग करें.

➤ इन छोटी सावधानियों से आप न सिर्फ ईंधन की बचत करेंगे बल्कि आपके धन की भी बचत होगी.

कैसे करें ड्राइविंग के दौरान ऊर्जा संरक्षण?

हम अपनी गाड़ियों में बड़ी मात्रा में ईंधन का उपभोग करते हैं. हिन्दुस्तान में गाड़ियों में रोज इजाफा हो रहा है. मांग ज्यादा होने से पेट्रोल और डीजल के दाम भी बेतहाशा बढ़ रहे हैं. मांग कम करने और ईंधन संरक्षण के लिए ड्राइविंग के दौरान कुछ सावधानियां रखी जा सकती हैं-

➤ लाल बत्ती अधिक देर तक होने की स्थिति में अपने वाहन का इंजन बंद कर दें.

➤ कार्यस्थल पर आने जाने के लिए कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का यथासंभव उपयोग करें.

➤ वाहन मध्यम गति से चलाए, इससे ईंधन संरक्षण होगा और दुर्घटना की संभावना भी कम हो जाएगी.

➤ वाहन भार कम से कम रखें.

➤ अपनी यात्रा का रूटचार्ट पहले से निर्धारित करें.

➤ कम ईंधन खपत के लिए सही गियर में ही वाहन चलाएं.

➤ बेहतर माइलेज के लिए टाॅप गेयर का अधिक उपयोग करें.

➤ एअर कंडीशनर का उपयोग कम से कम करें.

➤ अपने वाहन की समय-समय पर सर्विस करवाएं.

➤ गाड़ी में टायर में एअर प्रेशर सही रखें.

➤ व्हील अलाइनमेंट की जांच करवाते रहें.

➤ छोटी दूरी के लिए साइकिल का उपयोग करें अथवा पैदल चलें. इससे ईंधन संरक्षण के साथ आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी.

कार्यस्थल पर कैसे करें ईंधन संरक्षण?

हम अपने दिन का बड़ा हिस्सा अपने कार्यस्थल पर बिताते हैं. इस दौरान हम ऐसे ढेरों संसाधनों का उपयोग करते हैं जो किसी न किसी तरह ईंधन का उपयोग करते हैं. कार्यस्थल पर छोटी-छोटी सावधानियों में बड़ी मात्रा में ईंधन संरक्षण किया जा सकता है.

➤ बिजली से चलने वाले उपकरणों को उपयोग के समय ही आॅन करें और उपयोग के तुरंत बाद आॅफ कर दें.

➤ आफिस में एअर कंडीशन का विवेकपूर्ण उपयोग करें.

➤ प्रिंटर का उपयोग कम से कम करें.

➤ आफिस छोड़ने से पहले सभी लाइट्स और उपकरण के स्विच आॅफ कर दें.

➤ कम्प्यूटर को स्लीप मोड पर छोड़ने की जगह उसे शट डाउन करें.

ईंधन के सम्बन्ध में कुछ रोचक तथ्य-Amazing Facts about Fuel

➤ पूरी दुनिया की ईंधन जरूरतों का 80 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन के माध्यम से ही पूरा होता है.

➤ प्राकृतिक गैस मीथेन का ही एक रूप होता है.

➤ जीवाश्म ईंधन का उपयोग सबसे पहले बिजली उत्पादन के लिए किया गया.

➤ जीवाश्म ईंधन को बनाने की कोई तकनीक आज तक विकसित नहीं की जा सकी है.

➤ दुनिया के कई देशों में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति गैस के कुंए से सीधे घरों को की जाती है.

➤ अमेरिका रोज 18 मिलियन बैरल तेल का उपयोग करता है.

➤ 1 लीटर गैस को बनाने के लिए 26 टन कच्चे उत्पाद को प्रसंस्कृत करना पड़ता है.

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ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध भाषण Essay on Energy Conservation in Hindi : ऊर्जा मानव जीवन की सभी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति का महत्वपूर्ण साधन हैं.

जीवन में गति का कारण ऊर्जा ही हैं चाहे वह हमारे चलने के लिए हो या यंत्रों के परिचालन के लिए, जीवन के हर क्षेत्र में एनर्जी की जरूरत हैं.

ऊर्जा के सिमित भंडार हैं इसलिए हमे ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) की तरफ जाना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढियां ऊर्जा संकट का सामना न करें. आज का निबंध (Essay) भाषण (Speech) अनुच्छेद (Paragraph) इसी विषय पर दिया गया हैं.

ऊर्जा संरक्षण पर निबंध | Essay on Energy Conservation in Hindi

आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग कहा जाता हैं, जिसमें विभिन्न तरह के यंत्रों के माध्यम से मानव ने विकास की राह को बहुत तीव्र कर दिया हैं. अपने लौकिक सुख के लिए उसने तमाम साधन जुटा लिए हैं.

सब कुछ पा लेने के बावजूद भी अधिक सुखी जीवन बिताने की यह लालचा कही खत्म होती नजर नहीं आती, बल्कि दिनोंदिन इसमें वृद्धि ही नजर आ रही हैं.

वर्तमान के सुख से कमी के भाव ने असंतोष को जन्म दिया हैं, उसका यही असंतोष और कुछ और अर्जित करने की जिद्द ने मोटर गाड़ी, हवाई, रेल, मोबाइल, इन्टरनेट, रोबोट, परमाणु सब कुछ पाया हैं.

प्रकृति प्रदत्त संसाधनों से निर्मित होने के कारण दिनोदिन प्राकृतिक संसाधनों की कमी गहराती जा रही हैं. तथा इसके विपुल भंडार खत्म होते जा रहे हैं.

हमारी पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन के सिमित भंडार ही उपलब्ध हैं, ऊर्जा भी उन्ही में से एक हैं. जिस तीव्र गति से विश्व की आबादी बढ़ रही हैं उनकी आवश्यकताएं भी दिनोंदिन बढ़ रही हैं.

आए दिन यातायात के साधनों में ताबड़तोड़ वृद्धि हो रही हैं. हमारा जीवन पूरी तरह से मशीनों पर आश्रित सा हो चूका हैं.

इन मशीनों को चलाने के लिए विविध प्रकार के ईधन यानी ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती हैं. जिस गति से आज हम ऊर्जा को डीजल, पेंट्रोल, विद्युत् आदि रूपों में व्यय करते हैं एक दिन इनके भंडार समाप्त हो जाएगा और हम एक भयानक ऊर्जा संकट से गुजर रहे होंगे.

हमारे घरों में खाना पकाने के लिए एलपीजी वाहनों में प्रयुक्त CNG व अन्य पेट्रोलियम यदि समाप्त हो गये तो इनका पुनः निर्माण नहीं किया जा सकता. अतः हमें सिमित मात्रा में उपलब्ध इन संसाधनों का कम से कम दोहन करना चाहिए.

एक दिन के लिए कल्पना करे यदि पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस न हो तो हमारा जीवन कैसा होगा. जैसा कि पूर्व में कहा गया ऊर्जा का प्रथम उद्देश्य गति हैं इसके अभाव में संसार रूक जाएगा.

यदि हम इसी गति से प्रकृति के साधनों का उपयोग करते चले तो यह परिकल्पना या भय एक दिन यथार्थ बनकर हमारे समक्ष होगा, जब हमारी धरती से ये प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह समाप्त हो जाएगे.

अभी भी हमें सम्भलने का वक्त है ऊर्जा संरक्षण के उपायों को अपनाएं तथा ऊर्जा के ऐसे विकल्पों को अपनाएं जो नवीकरण योग्य हो ऊर्जा के साधन जैसे सूर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा बायोगैस का अधिकतम उपयोग करें.

यदि हमने समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए तो निश्चय ही एक दिन समूची मानव जाति के समक्ष ऊर्जा का एक भयानक संकट उपस्थित हो जाएगा.

जिस गति से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही हैं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तीव्र विकास की जरूरत पड़ती हैं यह ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देती हैं. आगामी दशक में ऊर्जा की कुल खपत कई गुणा अधिक हो जाएगी.

इसलिए अभी केंद्र और राज्य सरकारों को इस बारे में सोचकर कठोर कानून बनाने होंगे. हालांकि इस दिशा में कुछ सराहनीय कार्य भी हुए हैं जिनमें आंशिक सफलता भी मिली हैं वे है बायोगैस, LED लाइट्स के उपयोग, सौर संयंत्र को बढ़ावा तथा वृक्षारोपण.

हमारी धरती पर ऐसे संसाधनों के विपुल भंडार या उनकी सम्भावनाएं हैं जो पर्यावरण का प्रदूषण नहीं बढाते हैं. आज पूरी दुनिया में ऊर्जा संरक्षण के महत्व को समझा जाने लगा हैं तथा ऊर्जा के नवीन विकल्पों पर काम किया जा रहा हैं.

सौर तथा पवन ऊर्जा को अपनाने पर बल दिया जा रहा हैं. साथ ही इस तरह के नवीकरणीय साधनों को अधिक से अधिक विकसित करने की दिशा में भी रिसर्च हो रही हैं.

भारत दुनिया के बड़े ऊर्जा आयातक देशों में से एक हैं. हमारा अधिकतर पेट्रोलियम खाड़ी देशों से आयात होता हैं. हमारा देश ऊर्जा के इन साधनों को पाने के लिए न केवल बड़ी मात्रा में धन खर्च करता हैं.

बल्कि अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार के दामों में कई बार आने वाले उफान के कारण यह भारतीय व्यापारियों के लिए खरीद पाना भी मुश्किल हो जाता हैं.

ऐसे में सरकारे कर कम करके अथवा उनके घाटे की भरपाई करके आपूर्ति को नियमित बनाने का प्रयत्न करती हैं. किसी भी तरह से ये समस्त बोझ देश की आम जनता पर ही हैं.

हमें आश्वस्त रहना चाहिए, जिस तेजी से हम विज्ञान के नये नये आविष्कार कर रहे हैं उसी दिशा में हम ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देनी वाली तकनीक या ऊर्जा के नये विकल्पों की खोज कर लेगे जो हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक न हो तथा कभी खत्म न हो.

प्रत्येक नागरिक को ऊर्जा के प्रति जागरुक बनने की आवश्यकता हैं. इसके व्यर्थ अपव्यय से बचते हुए संरक्षण की ओर कदम उठाने की आवश्यकता हैं.

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ऊर्जा संरक्षण क्या है? | What is Energy Conservation

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  • Post published: February 16, 2024
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Energy conservation : आज के समय में तेजी से बढ़ती हुई जनसँख्या और ऊर्जा की खपत को देखते हुए ऊर्जा संरक्षण एक प्रमुख मुद्दा बन जाता है। क्योंकि friend’s ऊर्जा हमारे लिए प्रकृति का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है सच कहूं तो इसके बिना जीवन का कोई महत्व ही नहीं है।

हम लगातार नए-नए अविष्कार कर ऊर्जा का भरपूर उपयोग कर रहे हैं और अपने आने वाली जिंदगी को सुख सुविधाओं से भर रहे हैं – नहीं यह कोई गलत बात नहीं है परन्तु जब इस ऊर्जा का उपयोग या ये कहूं दुरूपयोग व्यर्थ चीजों में किया जाए तो यह पूरी तरह से गलत बात है क्योंकि ऐसा करके हम अपना ही नुकशान कर रहे हैं।

कृपया कर यह लेख पूरा पढ़ें क्योंकि अगर आप को पढ़ते हैं और इससे ऊर्जा संरक्षण के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमारा लिखना सफल हो जाता है।

ऊर्जा क्या है – what is energy

ऊर्जा के बारे में लगभग सबको पता ही होगा क्योंकि यह सभी के अंदर विद्यमान होता है, हाँ ये बात अलग है कि आप इस ऊर्जा का उपयोग किस तरह करते हैं।

हमारे अंदर कार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं, ऊर्जा को कई रूपों में स्थान्तरित किया जा सकता है। आपने गिरते हुए पानी को देखा होगा उसमे इतनी ऊर्जा होती है कि वह जमीन पर एक छेद बना सकता है।

साधारणतः ऊर्जा दो प्रकार का होता है –

  • नवीकरणीय ऊर्जा

नवीकरणीय ऊर्जा क्या है – what is renewable energy

नवीकरणीय ऊर्जा प्रदूषण रहित और कभी ख़त्म ना होने वाली ऊर्जा है इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है उदाहरण के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वार भाटा ऊर्जा इत्यादि नवीकरणीय ऊर्जा में आते हैं।

अनवीकरणीय ऊर्जा क्या है – what is non-renewable energy

इसके अंतर्गत वे ऊर्जा आते हैं जो एक बार ख़त्म होने के बाद दोबारा प्राप्त नहीं किये जा सकते इन्हे बनने में करोङो साल लग सकते हैं इसके उदाहारण है कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।

ऊर्जा के स्त्रोत – source of energy

ऊर्जा के अनेक स्त्रोत हैं जिनमे से कइयों का उपयोग करके ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) किया जा सकता है। खासकर ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत जिन्हे दोबारा conservation किया, इन्हे विस्तार से जानते हैं –

ऊर्जा के पारम्परिक स्त्रोत – traditional sources of energy

  • पेट्रोलियम/ खनिज तेल
  • प्राकृतिक गैस, इत्यादि।

कोयला (coal) : यह भारत में ऊर्जा उत्पादन का सबसे बड़ा स्त्रोत है, कोयला देश के व्यावसायिक ऊर्जा की मांग का लगभग 67% प्रतिशत पूरा करता है, भारत के कई राज्यों में कोयले का भंडार है जैसे – झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु इत्यादि।

बायोमास या सूखे कार्बनिक पदार्थ (biomass or dry carbonic material) : इसके तहत पेड़ों की सुखी टहनियां, लकड़ी, गोबर, तथा जिव प्राणियों से प्राप्त तेल इत्यादि आते हैं। यह भी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो विश्व के ऊर्जा का लगभग 14 प्रतिशत को पूरा करता है,

विकासशील देशों में इसकी मात्रा 43 प्रतिशत तक है इसलिए वनों की लगातर कटाई हो रही है, वह दिन दूर नहीं जब हम पर्यावरण को पूरी तरह नष्ट कर देंगें और खुद को भी।

तेल (oil) : पेट्रोलियम व तेल उत्पाद में कोयले की अपेक्षा अत्यधिक ऊर्जा होती है। असुद्ध पेट्रोलियम (crude oil) से बहुत से कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ प्राप्त होते हैं।

तेल के भण्डार ज्यादातर छिद्रयुक्त चट्टानों से मिलते हैं और दुनिया के ऊर्जा का 40% तेल ऊर्जा से ही प्राप्त किया जाता है। और उसमे से भी 55% केवल मध्य एशियाई देशों से।

प्राकृतिक गैस (natural gas) : प्रकृतिक गैस भी मुख्यतः तेल के भंडारों के पास ही मिलता है इसमें कुछ मात्रा में कार्बन डाई आक्साइड एवं अन्य ज्वलनशील गैस एथेन एवं प्रीपेन भी रहता है।

परमाणु ऊर्जा (nuclear energy) : इसके उत्पादन के लिए 92U235 का उपयोग किया जाता है, यूरेनियम 235 के विघटन से ऊर्जा प्राप्त किया जाता है। इसका विघटन न्यूक्लियर रिएक्टर में कराया जाता है।

जल-विद्युत ऊर्जा (hydro electric energy) : यह ऊर्जा सस्ता और बार-बार उपयोग किया जाने वाला ऊर्जा है, पृथ्वी हर साल सूर्य से ऊर्जा ग्रहण करती है. इसे ऊर्जा द्वारा अवशोषित किया जाता है जो वाष्प बनता है फिर वर्षा के माध्यम से यह ऊर्जा हमें दोबारा प्राप्त होता है।

गैर परम्परागत स्त्रोत – non-traditional sources

सौर ऊर्जा – solar energy in hindi.

सौर ऊर्जा का उपयोग अपरोक्ष व परोक्ष रूप में मानव कल्याण के लिए किया जाता है, सीधी सौर ऊर्जा विकिरण ऊर्जा होता है जबकि परोक्ष सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो तत्वों से मिलता है, जिसमे सौर ऊर्जा विकिरण पहले निहित होता है।

सौर ऊर्जा को सीधे ताप ऊर्जा के रूप में तथा इन ऊर्जा को बिजली के रूप में बदलकर उपयोग किया जाता है। फोटोवोल्ट बैक्ट्रियां सीधे सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करती हैं।

जब अनेक प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत में सौर ऊर्जा का उपयोग परोक्ष के रूप में किया जाता है तब जैवभार (biomass) ऊर्जा सबसे प्रमुख होता है। जैवभार यहाँ पर उन सभी पदार्थों के लिए उपयोग किया जाता है जो, प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा बने हैं।

इसमें जीवित पौधे तथा उनके सूखे अवशेष आते हैं जैसे – जलीय पौधे, मीठे जल तथा समुद्रीय शैवाल, कृषि अवशेष इत्यादि। इसके अंतर्गत एल्कोहल निर्माण से निकलने वाले अपशिस्ट भी आते हैं।

विश्व की आधी आबादी ऊर्जा के लिए जैवभार (biomass) का उपयोग करती है। भारत के गावों में काष्ट ईंधन के रूप में आज भी उपयोग किया जाता है।

ऊर्जा के अन्य नवीकरणीय स्त्रोत

ऊर्जा के नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्त्रोत को जानने का मतलब है हम किस तरह ऊर्जा का संरक्षण (energy conservation hindi) कर सकते हैं और दोबारा उपयोग में लाये जाने वाले ऊर्जा के साधनों का उपयोग करके energy conservation के साथ-साथ अपने वातावरण को भी स्वस्छ रख सकते हैं।

जल शक्ति के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण – Energy conservation through water power

जल में भारी मात्रा में स्थितिज ऊर्जा होता है जिसको गतिज ऊर्जा में परिवर्तन कर, टरबाइन द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है। दुनिया के कुल बिजली का एक-चौथाई भाग जलशक्ति से प्राप्त होता है, यह ऊर्जा ताप विद्युत संयत्र से प्राप्त ऊर्जा से सस्ता होता है।

पानी को रोकने के लिए बाँध बनाने में कई पर्यवरणीय समस्याएं उत्पन्न होती है जो इस तरह है –

  • भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा जल से भर जाता है जिसमे बहुत से छोटे जीव और उनके आवास नष्ट हो जाता है।
  • पोषक युक्त जमीन जिसमे पेंड पौधे उगते हैं नष्ट हो जाता है।
  • कृषि योग्य जमीन नष्ट हो जाती है।
  • समय के साथ-साथ जल के अंदर गाद और कीचड़ भर जाते हैं इससे बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त जल भरने की क्षमता नहीं रहती।

पवन ऊर्जा द्वारा ऊर्जा संरक्षण

पवन (हवा) का उपयोग करके पंखा घुमाया जाता है और बिजली उत्पादन की जाती है परन्तु इसमें भी एक समस्या है, हवा के द्वारा ऊर्जा हर क्षेत्र में प्राप्त नहीं किया जा सकता इसके लिए द्वीप, तटीय, और पर्वतीय क्षेत्र ही बेहतर होते हैं।

ज्वार ऊर्जा के द्वारा ऊर्जा संरक्षण

समुद्र में उठने वाले उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जाता है।

भूतापीय ऊर्जा से ऊर्जा संरक्षण

गर्म जल के रूप में बह रहे झरनों व सतही जल से टरबाइन को घुमाकर बिजली उत्पन्न किया जाता है।

समुद्रीय तरंग ऊर्जा

पवन (हवा) द्वारा उत्पन्न समुद्रीय तरंगों में भी टरबाइन चलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पादित किया जाता है।

अपशिष्ट पदार्थो के द्वारा ऊर्जा संरक्षण

अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा इतना ज्यादा बढ़ चूका है कि चारो तरह जहाँ देखो वहां कचरा ही कचरा दिखाई पड़ता है खासकर शहरों में। हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में घरों से इतना ज्यादा कचरा बाहर करते हैं अगर इनका सहीं से उपयोग किया जाये तो पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है साथ ही भारी मात्रा में Energy Conservation किया जा सकता है।

अपशिष्टों को हम अनेक भागों में बाट सकते हैं जैसे –

  • महानगरों से निकला अपशिष्ट
  • कृषि अपशिष्ट
  • अस्पताल से निकला अपशिष्ट
  • आद्योगिक क्षेत्र के अपशिष्ट
  • खनन द्वारा निकला अपशिष्ट इत्यादि।

इन सब अपशिष्टों का दोबारा उपयोग में लाया जाना हर तरह से फायदेमंद होगा और ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) भी बेहतर तरीके से होगा।

मानव द्वारा ऊर्जा संरक्षण के तरीके – Energy Conservation Methods

हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसी गलतियां करते रहते हैं जिससे लगातार ऊर्जा का नुकसान होता रहता है, जबकि छोटे-छोटे कदम उठाकर हम ऊर्जा का संरक्षण कर सकते है, उन तरीकों को जानते हैं जिससे ऊर्जा का संरक्षण (Energy conservation) किया जा सके –

  • बेफिजूल बिजली का उपयोग बंद करके, केवल आवश्यकता पड़ने पर ही बिजली का उपयोग करें।
  • कम वोल्ट का सी एफ एल बल्ब उपयोग करके ताकि ऊर्जा की खपत कम हो।
  • ऊर्जा के अनवीकरण साधनों के उअधिक पयोग के बजाय नवीकरणीय साधनों का इस्तेमाल करके।
  • साइकल से या पैदल चलने की आदत डालकर, अधिक दुरी के लिए मोटर साइकल का उपयोग समझ में आता है परन्तु आज के समय में हम जरा-जरा सी दुरी के लिए मोटर साइकल का उपयोग करते हैं जिससे अत्यधिक पेट्रोल खपत होता है, जरा सोचिये एक समय ऐसा आएगा जब पेट्रोलियम खत्म हो जायेगा तब क्या करेंगें ?
  • ऐसी, पंखा, लाइट इत्यादि का कम से कम उपयोग करके।
  • पंखो को लगातार सर्विसिंग करते रहें ताकि वे जाम ना हो और चलने में कम ऊर्जा का खपत करे।
  • मोटर वाहनों को भी समय-समय पर सर्विस कराते रहें ताकि जितना हो सके कम पेट्रोल का खपत हो।
  • खाना बनाने के लिए भी सोलर कुकर का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करे।
  • रेफ्रिजरेटरों के उपयोग में सावधानी बरते बार-बार उसका दरवाजा ना खोलें।
  • सिचाई के लिए भी ध्यान रखे कि पानी सीधे पौधों के जड़ों में जाये ना की व्यर्थ बहे।
  • सिचाई पाइप को सीधा रखे कहीं से मुड़ा हुआ ना हो इससे ऊर्जा खपत अधिक होती है।
  • और बहुत से तरीके हैं जिनसे आप ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं, उनका पालन करें।

ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत क्या है?

ऊर्जा (energy) ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही इसे नष्ट किया जा सकता है ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में स्थान्तरिक किया जा सकता है। ऊर्जा के कई भण्डार सिमित है इसलिए ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता है यही ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है।

ऊर्जा के संरक्षण के क्या कारण है?

क्योंकि ज्यादातर ऊर्जा (energy) के संसाधन सिमित है जिन्हे दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता ऊर्जा हमारे लिए अमूल्य है इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है इसलिए ऊर्जा के संरक्षण की आवश्यकता है या यही ऊर्जा संरक्षण का कारण है।

ऊर्जा का अर्थ क्या है?

ऊर्जा (energy) का अर्थ हमारे कार्य करने की क्षमता से है, ऊर्जा के बिना हम बिल्कुल शून्य है हममे हर कार्य को करने के लिए ताकत ही ऊर्जा है।

ऊर्जा संरक्षण क्या है? (What is Energy Conservation)

ऊर्जा के विभिन्न स्त्रोतों की जनकारी व ऊर्जा के फालतू खपत को रोकना तथा ऊर्जा का सही दिशा में खपत करना ऊर्जा संरक्षण कहलाता है।

ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) हमारे जीवन में ऊर्जा के महत्व और इसकी आवश्यकता को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day) मनाया जाता है।

ऊर्जा का हमारे जीवन में महत्व को आप अच्छे से समझ चुके हैं साथ ही ये भी समझ चुके हैं कि ऊर्जा के सिमित भण्डारण अत्यधिक है जो कभी भी समाप्त हो सकते हैं इसलिए ऊर्जा के प्रति अपने दायित्व को समझे और ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) के दिशा में काम करें।

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So beautiful

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बहुत-बहुत धन्यवाद आपका दिव्यांशु जी

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राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

  • 06 Jan 2023
  • 12 min read
  • सामान्य अध्ययन-II
  • सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप
  • सामान्य अध्ययन-III
  • पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट
  • वृद्धि एवं विकास

हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और संबंधित चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, जिसकी लागत 19,744 करोड़ रुपए है, को मंज़ूरी दी है इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उपयोग, उत्पादन और निर्यात के लिये 'वैश्विक केंद्र' बनाना है।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:  

  • यह हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भारत को ईंधन का शुद्ध निर्यातक बनाने हेतु एक कार्यक्रम है।
  • यह मिशन हरित हाइड्रोजन मांग में वृद्धि लाने के साथ-साथ इसके उत्पादन, उपयोग और निर्यात को बढ़ावा देगा।
  • यह इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू निर्माण को निधि प्रदान करेगा और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।  
  • बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या हाइड्रोजन के उपयोग का समर्थन करने में सक्षम राज्यों एवं क्षेत्रों को हरित हाइड्रोजन हब के रूप में पहचाना तथा विकसित किया जाएगा। 
  • वर्ष 2030 तक भारत में लगभग 125 GW (गीगावाट) की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने के साथ-साथ प्रतिवर्ष कम-से-कम 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास करना।
  • इसके तहत कुल 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर 6 लाख नौकरियाँ सृजित करना अपेक्षित है।
  • इसके अतिरिक्त इसके परिणामस्वरूप जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध कमी के साथ-साथ वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मीट्रिक टन की कमी आएगी।
  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ।
  • औद्योगिक, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों का डीकार्बोनाइज़ेशन आयातित जीवाश्म ईंधन एवं फीडस्टॉक पर निर्भरता कम करने, घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ाने, रोज़गार की संभावनाएँ पैदा करने तथा नई प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में योगदान देगा।
  • भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु भौगोलिक स्थिति अनुकूल होने के साथ-साथ धूप और हवा की प्रचुर उपलब्धता है ।
  • हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को उन क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जा रहा है जिन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विद्युतीकरण संभव नहीं है ।
  • इनमें से कुछ उद्योग लंबी दूरी की परिवहन के साधन, कुछ औद्योगिक तथा विद्युत क्षेत्र में उच्च भंडारण क्षमता वाले उपकरण शामिल हैं।
  • उच्च मूल्य वाले हरित उत्पादों और इंजीनियरिंग, क्रय एवं निर्माण सेवाओं के निर्यात के लिये क्षेत्रीय हब का विकास उद्योग के शुरुआती चरणों के कारण संभव है।

संबंधित चुनौतियाँ: 

  • विश्व स्तर पर हरित हाइड्रोजन का विकास अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है, जबकि भारत एक प्रमुख उत्पादक होने का लक्ष्य निर्धारित कर सकता है, हालाँकि इन सभी मध्यस्थ कदमों को निष्पादित करने हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचा नहीं है।  
  • हाइड्रोजन का व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के लिये उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक ह रित हाइड्रोजन उत्पादन की आर्थिक स्थिरता है।
  • परिवहन ईंधन शृंखला के लिये प्रति मील के आधार पर पारंपरिक ईंधन और प्रौद्योगिकियों के साथ हाइड्रोजन को लागत-प्रतिस्पर्द्धी होना चाहिये।

हरित हाइड्रोजन: 

  • हाइड्रोजन प्रमुख औद्योगिक ईंधन है जिसके अमोनिया ( प्रमुख उर्वरक), स्टील, रिफाइनरियों और विद्युत उत्पादन सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोग हैं।
  • हालाँकि इस प्रकार निर्मित सभी हाइड्रोजन को तथाकथित ' ब्लैक या ब्राउन' हाइड्रोजन कहा जाता है क्योंकि वे कोयले से उत्पन्न होते हैं।
  • हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है लेकिन शुद्ध हाइड्रोजन की मात्रा अत्यंत ही कम है। यह लगभग हमेशा ऑक्सीजन के साथ H2O, अन्य यौगिकों में मौजूद होता है।
  • लेकिन जब विद्युत धारा जल से गुज़रती है, तो यह इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से इसे मूल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में खंडित करती है। यदि इस प्रक्रिया के लिये उपयोग की जाने वाली विद्युत का स्रोत , पवन या सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोत हैं तो इस प्रकार उत्पादित हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन कहा जाता है।
  • हाइड्रोजन से जुड़े रंग हाइड्रोजन अणु को प्राप्त करने के लिये प्रयुक्त बिजली के स्रोत को इंगित करते हैं। उदाहरण के लिये यदि कोयले का उपयोग किया जाता है, तो इसे ब्राउन हाइड्रोजन कहा जाता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन वर्तमान में वैश्विक हाइड्रोजन उत्पादन का 1% से भी कम उत्पादन होने के कारण उपभोग हेतु अत्यधिक महँगा है।
  • एक किलोग्राम ब्लैक हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये 0.9-1.5 अमेरिकी डॉलर खर्च होता है, जबकि ग्रे हाइड्रोजन की लागत 1.7-2.3 अमेरिकी डॉलर और ब्लू हाइड्रोजन की कीमत 1.3-3.6 अमेरिकी डालर तक हो सकती है। काउंसिल फॉर एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर 2020 के विश्लेषण के अनुसार, ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत 3.5-5.5 डॉलर प्रति किलोग्राम है।
  • प्रति यूनिट भार में उच्च ऊर्जा सामग्री के कारण हाइड्रोजन ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है, यही कारण है कि इसका उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जाता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन विशेष रूप से शून्य उत्सर्जन के साथ ऊर्जा के सबसे स्वच्छ स्रोतों में से एक है। इसका उपयोग कारों के लिये ईंधन सेल के रूप में या उर्वरक और इस्पात निर्माण जैसे अत्यधिक ऊर्जा खपत वाले उद्योगों में किया जा सकता है।
  • दुनिया भर के देश हरित हाइड्रोजन क्षमता के निर्माण पर काम कर रहे हैं क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद कर सकता है।
  • हरित हाइड्रोजन वैश्विक चर्चा का विषय बन गया है, विशेष रूप से जब दुनिया अपने सबसे बड़े ऊर्जा संकट का सामना कर रही है और जलवायु परिवर्तन का खतरा वास्तविकता में बदल रहा है।

अक्षय ऊर्जा से संबंधित अन्य पहलें:

  • जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM)
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन।
  • पीएम- कुसुम
  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति।
  • रूफटॉप सोलर योजना।

आगे की राह   

  • औद्योगिक हाइड्रोजन के अधिकतम उपभोगकर्त्ताओ को हरित हाइड्रोजन को अपनाने के लिये समझाने हेतु प्रोत्साहन की घोषणा करने की आवश्यकता है।
  • भारत को पाइपलाइनों, टैंकरों, मध्यवर्ती भंडारण और अंतिम चरण वितरण नेटवर्क के रूप में आपूर्ति शृंखला विकसित करने के साथ-साथ एक प्रभावी कौशल विकास कार्यक्रम संचालित करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाखों श्रमिकों को व्यवहार्य हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के अनुकूल होने के लिये उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित किया जा सके।
  • युवा जनसांख्यिकी और संपन्न अर्थव्यवस्था के कारण विशाल बाज़ार क्षमता, हाइड्रोजन-आधारित प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को आगे बढ़ाते हुए सरकार के लिये दीर्घकालिक रूप से लाभप्रद होगी। 

इन्फोग्राफिक: राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

(a) NH3 
(b) CH4 
(c) H2O 
(d) H2O2 

स्रोत: द हिंदू

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  • Hydroelectric Energy Advantages And Disadvantages

Hydroelectric Energy Advantages and Disadvantages

Even though hydroelectric energy provides the world with clean energy, there are still a few issues with it. In this article, we will analyse the benefits and drawbacks of hydropower.

What is Hydroelectric Energy?

Hydroelectric energy is the most widely used renewable power source on the planet. Hydroelectric energy means the production of electricity using hydropower as a power source. As per the hydropower status report of 2019, the hydroelectricity gave us an incredible 21.8 GW of energy and developed by 9% throughout the year. Hydroelectric energy is a traditional source of energy in which the kinetic energy of water flowing at high speed and the potential energy of the same water, which is made to run on the spillway of a dam, are used to generate electricity.

How is Hydroelectric Power Produced?

Hydropower plants make energy by utilising the power of water to turn turbines. A Hydropower plant works in the same way as a coal fuel plant. For instance, when coal is burnt in a coal plant, the steam that is produced powers turbines that generate electricity. With hydropower, the energy source that creates power is water.

How is Hydroelectric Power Produced?

In order to produce hydroelectric energy, high-rise dams are constructed on a river to obstruct the flow of water. Further, this water collected in the reservoir is used to generate kinetic and potential energy, which eventually generates hydroelectric energy.

Read More: Hydroelectricity Generation

Advantages of Hydroelectric Energy

1. Electricity can be produced at a constant rate once the dam is constructed

2. The gates of the dam can be shut down if electricity is not needed, which stops electricity generation. Hence by doing this, we can save water for further use in future when the demand for electricity is high.

3. One of the biggest advantages of hydroelectric power plants is that they are designed to last many decades, and so they can contribute to the generation of electricity for years.

4. Large dams often become tourist attractions because the lake that forms in the reservoir area behind the dam can be used for leisure or water sports.

5. The water from the lake of the dam can be used for irrigation purposes in farming.

6. Since the water is released to produce electricity, the build-up of water in the dam is stored to produce extra energy until needed.

7. Hydroelectric energy generation does not pollute the atmosphere because the hydroelectric power plant does not produce greenhouse gases.

8. Hydropower plants can be considered a reliable energy generation source. Since hydropower totally depends on water present on this planet, this energy source will remain inexhaustible because of the water cycle as it continuously keeps on maintaining balance on the Earth.

Disadvantages of Hydroelectric Energy

1. It is not an easy task to assemble a hydropower plant because the dams are extremely expensive to build, and they require extremely high standards and calculations for their construction.

2. It becomes important that the hydropower plant must serve for many decades because of its high cost of construction, and this totally depends on the availability of water resources.

3. If flooding happens due to natural calamities or the failure of dams, it would impact a large area of land, which means that the natural environment can be destroyed.

4. People are forcibly removed from the particular area where a hydropower plant is going to be assembled. This affects the day-to-day life of people living in that area.

5. A serious geological damage can be caused due to the construction of large dams.

6. To construct a hydro plant, it is important to block the running water source due to which the fishes can’t arrive at their favourable place, and as the water stops streaming, the areas along the riverside start to vanish out which eventually influences the life of creatures that depend on fish for food.

Frequently Asked Questions (FAQs)

What is hydroelectric energy.

Hydroelectric energy is the most widely utilised sustainable power source on the planet. Basically, hydroelectric energy means the production of electricity using hydropower as a power source.

Give some examples of non-renewable energy sources.

Coal, uranium, wood, petroleum products.

GIve some examples of renewable energy sources.

Sun, wind, water.

How many sources of energy are there?

Basically, there are two sources of energy:

  • Renewable Energy
  • Non-renewable Energy

What are the major sources of energy in India?

Coal, oil, and natural gas are the main source of energy in India.

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